Lithium Battery in E-Rickshaw

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6/18/20241 min read

E-RICKSHAW BATTERY IN INDIA

ई-रिक्शा देश के लघु बैटरी उद्योग के लिए एक उम्मीद की किरण है। कई तकनीकी उन्नति के बाद जाकर अब ई-रिक्‍शा बैटरी ठीक-ठाक चल रही है। इन बैटरियों में क्लेम प्रतिशत 30-40 से कम होकर 5-10 पर आ गया है। अफसोस की बात तो यह है कि जब बैटरी की कैमिस्ट्री को इतनी मेहनत से उन्नत किया गया तो दिल्ली में नए ई-रिक्शा पर लैड बैटरी बैन कर दी गई है। अब नया ई-रिक्शा वही खरीद सकता है जो उसमें लिथियम बैटरी लगाएगा।
लिथियम बैटरी पूरी तरह आयातित बैटरी है। हमारे प्रधानमंत्री बोलते हैं वोकल फॉर लोकल। आज सरकार वोकल फॉर लोकल बोल तो रही है लेकिन इसमें जहाँ त्रुटियाँ हैं वहाँ देख नहीं रही। भगवान की कृपा है कि ई-रिक्शा में बड़ी कम्पनियाँ जैसे एक्साइड, एमरोन आदि नहीं बढ़ पाई। इससे लघु बैटरी उद्यमियों में एक आशा जगी कि इस सैगमेंट की बैटरी वे मार्किट में बेचेंगे। बड़ी बैटरी कम्पनियाँ इस सैगमेंट में इसलिए नहीं है क्योंकि एक उच्च गुणवत्ता की ई-रिक्शा बैटरी बनाने के लिए जो केमिकल या कंपोनेंट्स उपयोग होने हैं उसके साथ अगर ये बड़ी कम्पनियाँ बैटरी बनाएं तो उनको वो मुनाफा नहीं मिलता जो अन्य सैगमेंट की बैटरी बनाने में मिलता है।
लिथियम बैटरी का प्रदर्शन कुछ अच्छा नहीं है। चाइना से बी ग्रेड और सी ग्रेड के सैल आ रहे हैं। इन सैलों की गुणवत्ता इतनी अच्छी नहीं होती। इन सैलों से बनी बैटरियां जुगाड़ बैटरियों की तरह होती हैं। ये बैटरियां फट भी रही हैं लेकिन ये फिर भी चल रही हैं। सरकार को चाहिए कि इन पर रोक लगाए।